सारंदेवोत ( सिसोदिया- गुहिलोत)

 सारंदेवोत ( सिसोदिया- गुहिलोत)
महाराणा हम्मीर
महाराणा खेता
महाराणा लाखा(1382-1421) के आठ पुत्र हुए 
आठ कुँवर अखडे़त, बड़म चूण्डो जिणवारी।
अनमि रूघो दुल्हो अनुज, मल त्रहुं खींच्या भाणजा।
 राणा लाखा की रानी  गागरोन के खींची राजा राव आदलदेजी की पुत्र  राव वीरमदेव जी की पुत्री लखमादे खींची(चैहान) जो मेवाड़ की पटरानी थी की कोख से चूण्डा जी, राघवदेव जी, दुल्हा जी ने जन्म लिया था।
 1. चूण्डा जी - वंशज चुण्डावत कहलाए। ठिकाने- सलूम्बर, देवगढ़, आमेट, बेंगू, कुराबड़ सहित 100 से अधिक ठिकाने।
 2. राघवदेव जी- सिसोदया वंश के पितृदेव हुए राठौड़ों द्वारा छल से मारे गए।
 3. अज्जा जी- के पुत्र सांरगदेव के वंशज सांरगदेवोत कहलाए। ठिकाने - कानोड़ , बाठरड़ा
 4. दुल्हा जी- वंशज दुलावत (डुलावत) कहलाए। ठिकाने- सामल, भाणपुरा, उमरोद, उमरणा, सिंघाड़ा, दुलावतों का गुड़ा।
 5. डूंगर जी- के पुत्र भांडाजी से भांडावत कहलाए।
 6. गजसिंह जी - गजसिंघोत कहलाए।
 7. लुणाजी - वंशज लुणावत हुए। ठिकाने- मालपुर, दमाणा, कंथारिया खेड़ा।
 8. मोकल जी- मेवाड़ के महाराणा बने। सबसे छोटे पुत्र।

 9. बडवाजी की पोथी के अनुसार एक पुत्र रूदो जी बताए गए जिनके रूदावत सिसोदया हुए।  थोरया घाटा क्षेत्र में।

महारावत अज्जा जी- महाराणा लाखा के तीसरे पुत्र  आपने मेवाड़ में रणमल राठौड़ को मारने में भाईयों के साथ सहयोग किया। जीवनकाल में बहुत युद्व किए एवं मेवाड़ को विजय दिलाने में अद्भुत सहयोग प्रदान किया।
1. सारंगदेव
2. सूरजमल
3. शिवसिंह
4. भैरव सिंह
5.वीर सिंह
रावत सांरगदेव जी- राणा सांगा की रक्षार्थ पृथ्वीराज द्वारा किया गया वार सिर पर झेला और संग्राम सिंह( राणा सांगा) को बचाया।
1. लिम्बा - रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
2. बीका
3. जोगा- जो बाद में उतराधिकारी हुए। (पाट बिराजे।)
4. रतनसिंह-
5. पत्ता सिंह- खानवा में वीरगति को प्राप्त हुए।( वंशज ठि. बोरकी बोड़की)
रावत जोगा- खानवा के युद्व में रणखेत रहे
1. राय सिंह- बिहार में देवउमगा में राज स्थापित कर वहाँ पर स्वतंत्र रियासत स्थापित की।
2.नरबद- पाट बिराजे।
3. बनवीर

रावत नरबद- चितौड़गढ में पाडनपोल पर 1535 के चितौड़ के दूसरे शाके मे रणखेत रहे।
1. नैत सिंह- पाट बिराजे।
2. करमचन्द- 1535 में चितौड़ के दूसरे शाके मे रणखेत रहे।
3. रणसिंह( राणा) - डूंगरपुर के चैहानों के साथ हुई लड़ाई में रणखेत रहे। वंशज ठि. पराणा, बाठरड़ा बड़ी पोल हवेली, ओनाड़ सिंह जी की भागल, लिम्बावास, कालाखेत, बोहेड़ा(फौजदार परिवार),  कराणा , तलाउ आदि।
4. खेमराज
5. खानसिंह कानसिंह- वंशज ठि. पीपलखेड़ा
6. जोधसिंह
7. विष्णुदास- ठि. लीमड़ी(नीमड़ी)
8. चरड़ो
9. चांदसिंह

रावत नेत सिंह- हल्दीघाटी के युद्व में रणखेत रहे।
1. भाण - पाट बिराजे
2.बाघ सिंह- राठौड़ों के युद्वरत रहते हुए रणखेत रहे।
3. राघवदास - बोरखेड़ा की लड़ाई में रणखेत रहे।
4. किशनदास
5.नारायणदास
6. वैरिसाल
7. नाथू सिंह- वंशज ठि.खेड़ी
रावत भाण सिंह
1. जगन्नाथ जी- पाटवी हुए।
2. श्याम सिंह- ठि. अचलाणा
3.जसवंत सिंह
4. माधवदास
बिहार के देवमंुगा रियासत के वंशज रावत भाण के पुत्र के वंशज बताते है।
रावत जगन्नाथ - मुगलों से लड़ते हुए रणखेत रहे।
1. मानसिंह- एकमात्र पुत्र (पाट बिराजे)
रावत मान सिंह-
1. महासिंह- पाटवी हुए।
2. मोहकम सिंह
3. हरि सिंह
4. हठी सिंह
5.फतेह सिंह
6. सुरत सिंह- बांधनवाड़ा की लड़ाई में पराक्रम दिखाया । राणाजी ने द्वितीय श्रेणी का ठिकाणा बाठरड़ा प्रदान किया। इनके वंशज( ठि. लक्ष्मणपुरा, हरण, नयातलाब, मोहनपुरा, बेड़)

रावत महासिंह- बांधनवाड़ा की लड़ाई (सन् 1711)में 20 प्रमुख सेनापतियों में से इन्होने ही मुगल सेनापति रणबाज खाँ को मारा और स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए। तब इनके वंशजों को कानोड़ की जागीर बख्शी गई और प्रथम श्रेणी के उमराव में शामिल किया गया।
1. सारंगदेव
रावत सांरगदेव द्वितीय- जीवनकाल में कई युद्व लडे।
रावत पृथ्वीसिंह
रावत जगत सिंह- इनके काका सगत सिंह सारंगदेवोत मराठों से हुई लड़ाई में रणखेत रहे।
रावत जालम सिंह- मराठों से हुई लड़ाईयो मे लड़े
1. अजीत सिंह
2. सालम सिंह
3. हम्मीर सिंह
रावत अजीत सिंह
रावत उम्मेदसिंह
रावत नाहर सिंह
रावत केसरी सिंह- रावत नाहर सिंह जी की निसन्तान मृत्यु होने पर उनके भाई लक्ष्मणसिंह के पुत्र केसरी सिंहजी कानोड़ में पाट बिराजे।
रावत प्रताप सिंह
1. योगेश्वर सिंह
2. ऋषिराज सिंह
रावत योगेश्वर सिंह जी-



महाराणा अमर सिंह जी द्वितीय के समय सन् 1704
1. रावत महा सिंह जी ( मान सिंह जी के पुत्र)  ठि. कानोड़ के पूर्वज -की रेख -  48800 टका थी
2. रावत सुरत सिंह जी (ठि. बाठरड़ा़ के पूर्वज) की रेख - 20000 टका थी

महाराणा भीम सिंहजी  ( सन् 1823 )
1. कानोड़ रावत अजीत सिंह जी - 22000 रेख टका
2. बाठरड़ा रावत मोहब्बत सिंह जी  - 9900 रेख टका

रियासत
1.देवमुंगा या देवउमगा ( बिहार में)

ठिकाणा व गाँव
1. कानोड (प्रथम श्रेणी)
2.बाठरड़ा ( द्वितीय श्रेणी)
3. लक्ष्मणपुरा( यहाँ के ठाकुर को मेवाड़ महाराणा के दरीखाने की बैठक में आंमत्रित करने के साक्ष्य मिलते है।)
4. आसावरा
5. नीमड़ी
6. औनाड़ सिंह जी की भागल
7.पराणा
8.मादड़ी
9.नैनवारा
10. भाणपा
11. कच्छेर
12. अचलाना
13.कराणा
14. लवारतलाई
15. शोभजी का गुड़ा
16. बांसा
17. सिसवी
18.कचुमरा
19.देवरी
20. नयातालाब
21. सारण
22. मोड़ा का तलाव
23. लक्ष्मणपुरा
24. रचका का कुँआ
25. रावतपुरा
26. कालाखेत
27. गोपालपुरा
28. महासिंहपुरा


  हेमेन्द्र सिंह दुलावत
ठि. शिव सिंह जी का गुड़ा ( सामल)

स्त्रोत-
1. हेमेन्द्र सिंह जी सांरगदेवोत - द्वारा लिखित कानोड़ एवं बाठेड़ा ठिकाने का एक ऐतिहासिंक अध्ययन
सांरगदेवोत बाँपी खाँप के बारे अधिक जानकारी के लिए हेमेन्द्र सिंह जी सांरगदेवोत से सम्पर्क स्थापित करे।
आपके द्वारा लिखित सांरगदेवोत बाँपी खाँप की जानकारी इन्टरनेट पर उपलब्ध है । सम्बन्धित सारी वंशावली व तथ्य वहीं से लिए गए।

2. मज्झमिका मेवाड़ जागीरदारा री विगत ( हुक्म सिंह जी भाटी कृत)- से कानोड़ व बाठरड़ा की जागीर व रेख की जानकारी प्राप्त की गई।


 ठि. कानोड़

  ठि. बाठरड़ा






 महाराणा भीमसिंह कालीन 1823 की बही 
 महाराणा भीमसिंह कालीन 1823 की बही 

Comments

  1. Wrong & incomplete information about Antim Successor of Thikna Kanor

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  2. Rawat Karan Singhji son of Rawat kesar Singhji was last Legal Heir of Thikana Kanor,
    Had two sons
    Pratap Singh &
    Digvijay Singh & Yogeshwar Singh & Rishiraj Singh Grand Sons

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  3. जय श्रीराम ।। जय माँ भवानी हुक्म
    कृपया रावत खेंगार जी की सम्पूर्ण वंशावली उपलब्ध करा दीजिये की इनका कौन कौनसा सा वन्सज हरियाणा में आए थे जिनमे से पलवल भी आए थे क्योकि पलवल और इसके पास के कुछ गांव में खांगर(खांगरोत) राजपूत रहते है

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  4. क्योकि हमारे यहां खांगरोत, खंगारोत, खँगरावत भी लगाते हैं

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