ठि. भाणपुरा ( वंशावली)
ठि. भाणपुरा ( वंशावली)
1. महारावत दूल्हा जी (वंशज दुलावत हुए) -(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ के महाराणा लाखा (1382-1421)के चौथा पुत्र, उन्हें महाराणा कुंभा द्वारा 84 गाँव के साथ बदनोर की जागीर दी गई थी, लेकिन बाद में बदनोर उनके वंशजों से खालसा कर दी गई , राम सिंह की पुत्री अमर कंवर जैतमालोत से पहली शादी, चैहान रायदास जी की बेटी सायर कंवर चैहान से दूसरी शादी की।
कुंवर पृथ्वीराज, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर चाप सिंह
कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए
कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
बाईसा कसन कंवर
कुंवर चाप सिंह
कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए
कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
बाईसा कसन कंवर
2. रावत चाप सिंह,-(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ महाराणा के लिए कई युद्ध लड़े ,राठौड़ राम सिंह की बेटी राज कंवर राठौर से पहली शादी की, जैत सिंह झाला की बेटी प्रेम कंवर झाला जी से दूसरी शादी की। (बदनोर के जागीरदार)
कुंवर परबत सिंह जी
पारस कंवर
3. रावत परबत सिंह,(बदनोर के जागीरदार) खानवा में युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। (17 मार्च 1527 को), सूरजमल चैहान की पुत्री सुंदर कंवर से पहली शादी, सोलंकी जावरा जी की बेटी मान कंवर सोलंकी से दूसरी शादी की।
कुंवर बीरमदेव जी (बीका जी- बाक जी -बीको जी), उन्हें 1527 में मेवाड़ के महाराणा रतन सिंह जी द्वारा बदनोर के बदले भूताला की जागीर दी गई थी। इनके वंशज ठिकाना दुलावतों का गुड़ा में।
कुंवर खेत सिंह जी, 1534 में चित्तौड़गढ़ की दूसर शाके में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर भाकर सिंह, उन्होंने महाराणा विक्रमादित्य के लिए लड़ाई लड़ी और चित्तौड़गढ़ को फिर से हासिल करने में मदद की, उन्हें कपासन की जागीर मिली, लेकिन बाद में महाराणा उदय सिंह की बेटी की शादी में हथलेवा में दे दी।
4. रावत बीका जी(बीरमदेव)- , महाराणा रतन सिंह द्वारा बदनोर के बदले 1528 में भूताला की जागीर दी गई, वह 1568 की फरवरी में चित्तौड़ की तीसरे शाके मे काम आए। मारवाड़ (जोधपुर) के राव जोधा जी के भाई राव पतोजी की पोती सुप्यार कंवर से पहली शादी की।
कुंवर हेमराज (सामल, उमरोद, दुलावतों का गुड़ा के जागीरदार हुए)
कुंवर डालू जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर हरिदास जी, उनके वंशजों ने भानपुरा, उमराना, सिंघाड़ा की जागीर प्राप्त की।
कुंवर गोविंददास जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर सहो जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर मान सिंह, वह मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान काम आए।
कुंवर हेमराज (सामल, उमरोद, दुलावतों का गुड़ा के जागीरदार हुए)
कुंवर डालू जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर हरिदास जी, उनके वंशजों ने भानपुरा, उमराना, सिंघाड़ा की जागीर प्राप्त की।
कुंवर गोविंददास जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर सहो जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर मान सिंह, वह मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान काम आए।
5. ठाकुर हरिदास जी- ये हल्दीघाटी में लड़े
कुंवर चतुर्भज सिंह
मोकहम सिंह( 500 रेख टका के जागीरदार हुए।)
केसरी सिंह ( 500 रेख टका के जागीरदार हुए।)
कुंवर करण सिंह
कुंवर रूप सिंह
6. ठाकुर करण सिंह
व 6.1 ठाकुर सबल सिंह- राणा जगत् सिंह ने इनको सिंघाड़ा की जागीर प्रदान की।
6.11 ठाकुर नाथू सिंह
ठाकुर अमर सिंह
ठाकुर मकन ( मुंकुद सिंह) , शादी प्रथम सरे कुंवर राठौड़ और दूसरी मदन कुंवर कुम्पावत
( दोनों सती हुई )
6.12 नवल सिंह
6.13 गोपीनाथ
6.2 कुंवर केसर सिंह - केसर सिंह जी का गुड़ा ( केरिंगजी रो गड़ो) बसायो।
7. ठाकुर केसर सिंह
कुंवर हिम्मत सिंह
कुंवर मोहब्बत (मोपत सिंह) इन्हें मेवाड़ महाराणा ने उमरणा की जागीर
प्रदान की ( गोल ठिकाणा) , निसंतान देवलोक हुए।
कुंवर अनोप सिंह ( उमरणा में गोद लिया और वहाँ पाटवी हुए।)
देवी सिंह
भरत सिंह
दौलत सिंह
लाल सिंह
8. ठाकुर हिम्मत सिंह दुलावत- महाराणा राज सिंह ने इनको भाणपुरा की जागीर
प्रदान की जब ये मुगलों के विरूद्व बहादुरी से लड़े।
9. ठाकुर लाल सिंह - रणभूमि में वीर गति को प्राप्त हुए।
10. ठाकुर डूंगर सिंह
11. ठाकुर शिव सिंह
12. ठाकुर प्रताप सिंह
13. ठाकुर मोहब्बत सिंह
14. ठाकुर जालम सिंह
15. ठाकुर जोरावर सिंह
16. ठाकुर चमन सिंह
17. ठाकुर भोपाल सिंह
कुंवर दलपत सिंह
कुंवर सुमेर सिह
कुंवर उम्मेद सिंह
कुंवर जब्बर सिंह
18. ठाकुर दलपत सिंह
कुंवर रूप सिंह
कुंवर गमेर सिंह
कुंवर नरेन्द्र सिंह
कुंवर देवेन्द्र सिंह
19. ठाकुर रूप सिंह
यह मेवाड़ का तृतीय श्रेणी का ठिकाणा है। ( गोल का ठिकाणा) यहाँ के ठाकुर को मेवाड़ दरबार की बैठक में बड़ी ओल ( महाराणा के सीधे हाथ की तरफ वाली पंक्ति में) में बैठने का अधिकार प्राप्त था।
पीपाणा , माल माउन्ट, भाखरतलाव वाले इसी ठिकाणे से निकले भाईपा है
वर्तमान में भाणपुरा ठिकाणे के (दुलावत- सिसोदिया) भाई बन्ध अन्य सिसोदिया सरदारों की भाँति राणा जी के वंशज(वत्स) होने के कारण “राणावत“ उपनाम का प्रयोग करते हैं।
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