ठि. दुलावतों का गुड़ा के ठाकुर की वंशावली
ठि. दुलावतों का गुड़ा के ठाकुर की वंशावली
यह जागीर महाराणा अमर सिंह द्वितीय (1698-1710)ने देवीदास जी दुलावत द्वारा लुटेरों का सिर काटकर उदयपुर रावले में पेश करने पर दी।
महारावत दूल्हा जी -(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ के महाराणा लाखा के चैथे पुत्र, उन्हें महाराणा कुंभा द्वारा 84 गाँव के साथ बदनोर की जागीर दी गई थी, लेकिन बाद में बदनोर उनके वंशजों से खालसा कर दी गई , राम सिंह की पुत्री अमर कंवर जैतमालोत से पहली शादी, चैहान रायदास जी की बेटी सायर कंवर चैहान से दूसरी शादी की।
कुंवर पृथ्वीराज, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर चाप सिंह
कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।
बाईसा कसन कंवर
रावत चाप सिंह,-(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ महाराणा के लिए कई युद्ध लड़े ,राठौड़ राम सिंह की बेटी राज कंवर राठौर से पहली शादी की, जैत सिंह झाला की बेटी प्रेम कंवर झाला जी से दूसरी शादी की। (बदनोर के जागीरदार)
कुंवर परबत सिंह जी
पारस कंवर
रावत परबत सिंह,(बदनोर के जागीरदार) खानवा में युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। (17 मार्च 1527 को), सूरजमल चैहान की पुत्री सुंदर कंवर से पहली शादी, सोलंकी जावरा जी की बेटी मान कंवर सोलंकी से दूसरी शादी की।
कुंवर बीरमदेव जी (बीका जी- बाक जी -बीको जी), उन्हें 1527 में मेवाड़ के महाराणा रतन सिंह जी द्वारा बदनोर के बदले भूताला की जागीर दी गई थी। इनके वंशज ठिकाना दुलावतों का गुड़ा में।
कुंवर खेत सिंह जी, 1534 में चित्तौड़गढ़ की दूसर शाके में वीरगति को प्राप्त हुए।
कुंवर भाकर सिंह,
रावत बीका जी(बीरमदेव)- , महाराणा रतन सिंह द्वारा बदनोर के बदले 1528 में भूताला की जागीर दी गई, वह 1568 की फरवरी में चित्तौड़ की तीसरे शाके मे काम आए। मारवाड़ (जोधपुर) के राव जोधा जी के भाई राव पतोजी की पोती सुप्यार कंवर से पहली शादी की।
ऽ कुंवर हेमराज ध् खेमराज (पाट बिराजे)
ऽ कुंवर डालू जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
ऽ कुंवर हरिदास जी, उनके वंशजों ने भानपुरा, उमराना, सिंघाड़ा की जागीर
प्राप्त की।
ऽ कुंवर गोविंददास जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त
हुए।
ऽ कुंवर सहो जी, मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।
ऽ कुंवर मान सिंह, वह मुगलों के खिलाफ युद्ध के मैदान काम आए।
ठाकुर हेमराज जी, हल्दीघाटी के युद्ध में लड़े। किशन सिंह सोलंकी की बेटी रतन कंवर सोलंकी से पहली शादी की,, दुसरी शादी खुशाल सोलंकी की बेटी सदा कंवर से की,, तीसरी शादी राम कंवर से की लक्ष्मण सिंह चैहान की बेटी ,, चैथी शादी भान जी भाटी की बेटी रॉड कंवर से 4 थी।
ऽ कुंवर कमू जी, केवल उनके वंशज जीवित हैं और अन्य भाई या उनके वंशज युद्ध के मैदान में मारे गए । (पाट बिराजे)
ऽ कुँवर पूरनमल जी
ऽ कुंवर भोपत जी
ऽ कुंवर सुंदर दास जी
ऽ कुंवर शार्दुल जी
ऽ कुँवर नाहर जी
ऽ कुँवर कान जी
ठाकुर कमुजी(कमोजी),- राणा अमर सिंह के समय 1609 में अब्दुल्ला खान के खिलाफ रणकपुर(राणपुर) की लड़ाई में काम आए। मान सिंह जी पंवार की पुत्री जेत कंवर से पहली शादी की, दूसरी शादी रूप कंवर सोलंकी जैतमल की बेटी और सावंत सिंह की पोती से की जो सती हुई , बाघेला अखेराज की बेटी राधा कंवर बाघेला से तीसरी शादी की।
ऽ कुंवर मुणदास जी, अपने सभी भाइयों के साथ मुगलों के खिलाफ बहादुरी से लड़े
ऽ कुंवर किशनदास जी
ऽ कुंवर जासो जी
ऽ कुंवर नाहर खान जी
ठाकुर मुणदास जी- राणा जगत सिंह व राणा राज सिंह के लिए लडाई लड़ी। वंशज मुणदासोत कहलाए। पहली शादी सुंदर कंवर सोलंकी से की जो कि हाथी सिंह की बेटी , दूसरी शादी नाहर खान सोनगरा चैहान की बेटी पदम कंवर से की।
ऽ कुंवर गोकुलदास, किसी लड़ाई में मारे गए।
ऽ कुंवर देवीदास जी (पाट बिराजे)
ऽ कुंवर लक्ष्मण दास जी
ठाकुर देवीदास जी - महाराणा अमर सिंह जी द्वितीय को लुटेरों का सिर काटकर पेश किया जिसके फलस्वरूप राणाजी ने भूताला के पास पहाड़ी(मगरा) में जागीर दी जिसका कालान्तर में नाम दुलावतों का गुड़ा रखा गया, पहली शादी शोभा जी तंवर की बेटी श्याम कंवर से , दूसरी शादी भोजराज जी झाला की बेटी सीमा कंवर से की।
ऽ कुंवर सूर सिंह जी (पाट बिराजे)
ऽ कुंवर सुजान सिंह, ठिकाना खेतपाल-के-गुडा में बसे।
ऽ कुँवर जुझार सिंह को पालेला की जागीर दी।
ऽ कुंवर भाव सिंह ने माता-जी-का-खेड़ा की जागीर दी।
ठाकुर सुर सिंह जी, ठिकाना सामल में गोद लिए गए और सामल और दुलवातो-का-गुड़ा दोनों के ठाकुर बन गए, माल सिंह लखावत देवड़ा की बेटी अजब कंवर से पहली शादी की।
ऽ कुंवर नाथू जी (पाट बिराजे)
ऽ कुंवर गुमान सिंह, वह अपने भाइयों के साथ बंधनवाड़ा की लड़ाई में लड़े थे, वे ठिकाना शिव सिंह जी का गुड़ा में बसे थे।
ऽ (पुत्र नाम अज्ञात)
पौत्र शिव सिंह मेवाड़ की सेना के सिपाही , मराठों के खिलाफ युद्ध के मैदान में उनकी मृत्यु हो गई और अगरवा(आगरिया) की उनकी पत्नी जैतमालोत राठौड सती हुई।
ऽ कुंवर पृथ्वी सिंह, रणबाज खान के खिलाफ 1711 में बंधनवाड़ा में लड़े और महाराणा संग्राम सिंह जी द्वितीय ने उमरोद (गोल थिकाना) की जागीर दी।
ऽ कुँवर भोप जी इनका परिवार गोखड़ा वाला कहलाया
ठाकुर नाथू सिंह ने सोलंकी बाल जी की बेटी बदन कंवर के साथ विवाह किया।
ऽ कुंवर उम्मेद सिंह (पाट बिराजे)
ऽ कुंवर नाहर सिंह
ऽ कुंवर वगत सिंह
ठाकुर उम्मेद सिंह
ऽ कुंवर सवाई सिंह (पाटवी)
ऽ कुंवर जोरावर सिंह
ऽ कुंवर भीम सिंह
ऽ कुँवर प्रेम सिंह
ऽ कुंवर कीरत सिंह
ठाकुर सवाई सिंह
ऽ कुंवर बुद्ध सिंह, सामल ठिकाना के ठाकुर बने।
ऽ कुंवर प्रताप सिंह
ऽ कुंवर रतन सिंह, दुलावतों का गुड़ा के ठाकुर बन गए। (पाटवी)
ऽ कुंवर दुल्हे सिंह
ऽ कुंवर केसर सिंह
ऽ कुंवर चतर सिंह
ऽ कुँवर तख्त सिंह
ठाकुर रतन सिंह
ऽ कुंवर जीवन सिंह (ुपाटवी)
ऽ कुंवर दुल्हे सिंह
ऽ कुंवर धीरत सिंह
ऽ कुँवर उदय सिंह
ठाकुर जीवन सिंह
ऽ कुंवर चैन सिंह (ुपाटवी)
ऽ कुंवर झुंझार सिंह
ठाकुर चैन सिंह
ऽ कुंवर दान जी (पाटवी)
ऽ कुँवर अचल सिंह
ऽ कुंवर चतर सिंह
ऽ कुंवर अजीत ( अप्पे सिंह)
ठाकुर दान सिंह जी
ऽ कुँवर लाल सिंह
ऽ कुंवर जैत सिंह
ठाकुर लाल सिंह
ऽ कुंवर भीम सिंह
ठाकुर भीम सिंह - ठिकाना सामल में गोद लिया, पहली शादी उडीथल के देवडी जी से की, दूसरी शादी ठिकाना सोडा के ब्रज कंवर राठौर से की।
राम सिंह, सामल के ठाकुर के रूप में सफल हुए।
ऽ हड़मत सिंह (पाटवी)
ऽ लक्ष्मण सिंह
ऽ हरि सिंह
ऽ पप्पू सिंह
ठाकुर हडमत सिंह जी, ठिकाना पुठिया (गोगुन्दा) के झाली जी से शादी की।
नरपत सिंह (पाटवी)
जसवंत सिंह ने मजाम के जैतमलोत राठौर के साथ शादी की।
भुवन सिंह
रणवीर सिंह
ठाकुर नरपत सिंह जी - (वर्तमान )पालीथना के झाली जी से शादी की।
बहुत सुंदर जानकारी 👍💯
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