लुणावत ( सिसोदिया)

लुणावत ( सिसोदिया)
महाराणा लाखा(1382-1421) के सम्भवत् सातवें पुत्र लुणाजी के वंशज लुणावत हुए।
लुणाजी ने महाराणा कुम्भा कालीन युद्वों में शौर्य दिखाया था। इनके वंशजों लुणावतों ने मेंवाड़ के लिए होने विभिन्न युद्वों में पूरा साथ दिया और मातृभूमि के प्राण न्यौछावर किए।
महाराणा भीम सिंह के समय सन्1823 में लुणावतों के तीन जागीरदार थे।
1. ठि. चंदवास के ठाकुर चतर सिंह लुणावत( नाथ सिंह का पुत्र) 1500 रू.
2. ठि. कंथारिया व लुणावतों का खेड़ा के ठाकुर देवीसिंह, संग्राम सिंह 1500
3.ठि. डोडावली के ठाकुर नाथ लुणावत (गुलाब सिंह का पुत्र) 2100 रू.
नख या उप शाखाएँ - चतरसिंघनाथोत, लालसिंघोत, गुलाबसिंघोत आदि।
मालपुर , कंथारिया और लुणावतों का खेड़ा(खेड़ा) के ठाकुरों को मेंवाड़ रावले में बैठक में कभी- कभी आमंत्रित किया जाता था।
ठिकाणा
1.मालपुर
2.कन्थारिया
3. खेड़ा( लुणावतों का खेड़ा)
4 चंदवास
5. डोडावली
अन्य गाँव
6. लुणावतों का वास( यह गोगुन्दा से झाड़ोल सड़क पर स्थित है।)
7. दमाणा
इनके अतिरिक्त इन गाँवों से निकले हुए लुणावत (सिसोदियों) के झाड़ोल क्षेत्र में कुछ गाँव और भी है।
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शादियाँ
1. राव केसर सिंह चैहान पारसोली(1656-1692) की सातवीं रानी आनंद कंवर लुणावत यह ठाकुर पृथ्वी सिंह लुणावत ठि. मालपुर की पुत्री थी।
2. राव नाहर सिंह चैहान पारसोली (1692 के बाद) की नवीं रानी दौलत कंवर लुणावत यह ठाकुर डुंगर सिंह लुणवत ठि. कंथारिया की पुत्री थी।
3.राव राज सिंह चैहान पारसोली(1748-1769) की दूसरी रानी बखत कंवर लुणावत यह ठाकुर रण सिंह लुणावत ठि. मालपुर की पुत्री थी।
4.राव संग्राम सिंह चैहान पारसोली(1769-1783) की तीसरी रानी मिया कंवर लुणावत यह ठाकुर भोपत सिंह लुणावत ठि. कंथारिया खेड़ा की पुत्री थी।
वर्तमान में 98 प्रतिशत लुणावत सरदार अन्य सिसोदिया सरदारों की भाँति “राणावत“ उपनाम का ही प्रयोग करते है। पर कहीं कहीं लुणावत शब्द अल्पमात्रा में नजर आता है।

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