भाखरोत(भागरोत) - सिसोदया

भाखरोत(भागरोत) - सिसोदया वंश की एक बापी खाँप
महाराणा खेता (क्षेत्र सिंह जी) जिन्होंने मेवाड़ पर (1366-1382) तक राज किया।
पुत्र
1. लाखा जी- मेवाड़ के महाराणा बने।
2. भाखर जी - इनके वंशज भाखरोत कहलाए।
3. भूचर जी- इनके वंशज भूचरोत कहलाए। वर्तमान में ठि. गुपड़ा में मौजूद।
4. सलखा जी- इनके वंशज सलखावत कहलाए। ठि. मड़का
5. सखरा जी- इनके सखरावत हुए।
6.अन्य चाचा और मेरा पासवानिये पुत्र हुए जिनके माता सुथार जाति की थी जिसे मेवाड़ी में खातण कहते है इन दोनो भाइयो ने महाराणा मोकल की हत्या कर दी।
भाखरोत - इनकी उपशाखाएँ सुजाणसिंघोत, विठ्लदासोत आदि
जागीर ठिकाने जो सीधे महाराणा मेवाड़ ने दिए पदराड़ा और भूरकली ।
पुनावली ठिकाने में भाखरोत को गोद लिया गया
भाखर- यह राजस्थानी शब्द है जिसका मतलब पहाड़ या पर्वत होता है। जिसको भाकर भी कहते है
भाखरोत द्वारा राणा लाखा व राणा कुम्भा कालीन विभिन्न युद्वों शौर्य दिखाया गया।
खानवा के युद्व में भाखरोत के बलिदान मिलते है।
प्रसिद्ध योद्वा प्रयागदास जी भाखरोत हुए जो महाराणा प्रताप के सामंत रहे और राणा जी के युद्वों में शामिल हुए और हल्दीघाटी के युद्व 18 जून 1576 को रणभूमि को वीरगति को प्राप्त हुए।
ठि. पदराड़ा- महाराणा अमर सिंह जी की लड़ाई मंें भाखरोत द्वारा सहयोग करने पर (ठाकुर जसे सिंह जी जिनके पिता का नाम जोध सिंह जी था) को पदराड़ा का पट्टा (जागीर) मिली।
महाराणा अमर सिंह जी द्वितीय (1698-1710) के समय भाखरोत सिसोदिया के दो जागीदार थे
1. भाखरोत पीथो सुजाणसिंहोत 1000 रू.
2. भाखरोत वाघ विठ्लदासोत 800 रू.
महाराणा भीम सिंह जी(1778-1828) के समय तीन भाखरोत जागीरदार थे।
1. पदराड़ा के ठाकुर सुजाण सिंह जी 500 रू.
2. भूरकली के ठाकुर सामजी 200 रू
पदराड़ा , भूरकली , पुनावली के ठाकुर को सीधा मेवाड़ महाराणा के लिए काम करना पड़ता था । जिसमें पदराड़ा मेंवाड़ के गोल(तृतीय श्रेणी ) का ठिकाना था।
उदयपुर रावले में बैठक के दौरान पदराड़ा, व पुनावली के ठाकुर को बुलाया जाता रहा और दरीखाने में बैठक का स्थान प्राप्त था।
वर्तमान गाँव
पदराड़ा,
पुनावली,
भूरकली
तरथल,
खेजड़ी,
सुन्दरपुरा
नागों का खेड़ा
बरोड़िया
पालवास
भाखरोतों का गुड़ा (वर्तमान में इसका नाम बदलकर राणावतों का गुड़ा कर दिया गया है उदयपुर जिले के डबोक के पास पड़ता है)
भाखरोतों का खेड़ा
बोया(मारवाड़ में पदराड़ा या पुनावली) का भाईपा
इन ठिकाणों में भाखरोत विद्यमान है जिनमें से ज्यादातर जगर राणावत उपनाम का प्रयोग किया जाता है कुछ जगह पर सिसोदिया भी लिखते है तथा 10-20 प्रतिशत भाखरोत उपनाम लिखते है
इनके अतिरिक्त कोई जानकारी हो तो आप लोग फरमावे इसमें जोड़ दी जायेगी।
लेखक- हेमेन्द्र सिंह दुलावत
ठि. शिव सिंह जी का गुड़ा ( सामल)
सहयोग - कुंदन सिंह दुल्हावत
ठि. दुलावतों का गुड़ा

Comments

Popular posts from this blog

चूण्डावत वंशावली और ठिकाणे तथा गाँव

सारंदेवोत ( सिसोदिया- गुहिलोत)

दुलावत वंश का इतिहास Dulawat's(sisodiya) History