भवानीदासोत व वेणीदासोत ( सिसोदिया)

भवानीदासोत व वेणीदासोत ( सिसोदिया)
महाराणा रायमल (1473-1508) ने 11 विवाह और उन रानियों से 13 पुत्र उत्पन्न हुए।
1.पृथ्वीराज ( सिरोही के राजा जो इनके बहनोई थे उन्होंने विष मिले लड्डू या गोली दी जिसको खाने से मृत्यु हुई।)
2.जयमल
3.संग्राम सिंह(राणा सांगा)
4.कल्याणमल
5.पत्ता
6.राय सिंह
7. भवानीदास
8.किशनदास
9.नारायणदास
10.शंकरदास
11.देवीदास
12. सुन्दारदास
13. वेणीदास
भवानीदास के भवानीदासोत हुए
गाँव चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा आदि क्षेत्र में है
1. गेंदल्या
2. दांतड़ा
3.बोड़ीयास
4. बोरखेड़ा
5. काणोली
6.टीला खेड़ा
7. फेमड़िया खेड़ा
वेणीदास जी के वंशज वेणीदासोत (सिसोदिया) हुए।
इनको दरबार ने दादिया ठिकाणा दिया था जो सीधा मेवाड़ महाराणा के जागीरदार थे।
ठिकाणे व गाँव
1. दादिया( यहाँ झाला सरदार भी है परन्तु ठाकुर सिसोदिया है।)
2. फुटिया
3. दाड़मी- ( घोड़च, नेड़च व ठि. शिव सिंह का गुड़ा के पास )
4. बैरन ( देलवाड़ा के पास )
5. गोदेला
6. काकलवास ( जिला पाली)
वेणीदास जी के वंशजों की ज्यादा वंश वृद्वि नहीं हुई।
सन् 1823 में राणा भीम सिंह के समय ठि. दादो( दादिया) के जागीदार सामंत सिंह थे। यह 300 रेख टका का गाँव था (300 रू.)
वर्तमान अन्य सिसोदया सरदारों की भाँति वेणीदासोत व भवानीदासोत भी “राणावत“ उपनाम का ही उपयोग ही करते है कही - कही सिसोदिया उपनाम भी मिलता है। यह कोई बाँपी खाँप नही है
कोई त्रूटि हो तो क्षमा करावें
तथा अतिरिक्त जानकारी प्रदान करावें।
लेखक- हेमेन्द्र सिंह दुलावत
ठि. शिव सिंह जी का गुड़ा ( सामल)

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