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Showing posts from May, 2020

ठि. माताजी का खेड़ा (दुलावत)

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ठि. माताजी का खेड़ा (दुलावत) 1. ठाकुर देवीदास दुलावत द्वारा लुटेरों का सिर काट कर मेवाड़ महाराणा अमर सिंह द्वितीय (1698-1710) को भेंट करने पर उनको भूताला के पास पहाड़ी भाग की जागीरी प्रदान की गई जिसका नाम “दुलावतों का गुड़ा“ रखा गया । 2. उन्हीं ठाकुर के पुत्र “भाव सिंह जी“ को माताजी का खेड़ा की जागीर ,, उनके भाई सामल ठाकुर सुर सिंर जी व पिता देवीदास जी दुलावत द्वारा प्रदान की गई थी। जिसको (भाव सिंह जी का खेड़ा /भींव सिंह का खेड़ा /भीम सिंह का खेड़ा) कहा गया। 3. सन् 1700 से 1750 के बीच की बात है जब सामल ठाकुर द्वारा कर वसूला जाता था। तब इनके (भाव सिंह जी) किसी वंशज ने जो कि गाँव ठाकुर था ने कर देने से मना कर दिया। तब विवाद बढ़ गया तो उन्होने कहा कि - तू मेरा कलेजा ही ले ले( म्हारो कालजो ले ले)। इतना कहते ही उस दुलावत सरदार ने कटार निकाल कर स्वयं के शरीर में घुसा दी और लोकमान्यता के अनुसार अपना दिल निकाल कर दे दिया। ( संभवत् कटार लगने से वो उसी समय देवलोक हो गए होंगे।) 4. जब राणाजी को सारी बात पता चली तो उन्होंने गाँव को कर से मुक्त कर दिया और सामल से अलग कर दिया। अब स...

ठि. भाणपुरा ( वंशावली)

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ठि. भाणपुरा ( वंशावली) 1. महारावत दूल्हा जी (वंशज दुलावत हुए) -(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ के महाराणा लाखा (1382-1421)के चौथा पुत्र, उन्हें महाराणा कुंभा द्वारा 84 गाँव के साथ बदनोर की जागीर दी गई थी, लेकिन बाद में बदनोर उनके वंशजों से खालसा कर दी गई , राम सिंह की पुत्री अमर कंवर जैतमालोत से पहली शादी, चैहान रायदास जी की बेटी सायर कंवर चैहान से दूसरी शादी की। कुंवर पृथ्वीराज, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। कुंवर चाप सिंह कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। बाईसा कसन कंवर 2. रावत चाप सिंह ,-(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ महाराणा के लिए कई युद्ध लड़े ,राठौड़ राम सिंह की बेटी राज कंवर राठौर से पहली शादी की, जैत सिंह झाला की बेटी प्रेम कंवर झाला जी से दूसरी शादी की। (बदनोर के जागीरदार)  कुंवर परबत सिंह जी  पारस कंवर 3 . रावत परबत सिं ह,(बदनोर के जागीरदार) खानवा में युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। (17 मार्च 1527 को...

देवड़ा (चौहान) - मेवाड़ के

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देवड़ा (चौहान) - मेवाड़ के चौहान का मूलपुरूष चह्मान माना जाता है  जिनके वंश में वासुदेव ने 8 वीं शताब्दी में सांभर पर राज स्थापित किया। इसी वासुदेव का बाहरवा (12) वंशज वाक्पतिराज हुआ जिसका एक बेटा सिंहराज सांभर व अजमेर के चौहान का मूलपुरूष बना तथा दूसरा पुत्र नाडोल के चौहान का सस्थापक हुआ। और नाडोल शाखा से सिरोही, बूंदी व कोटा के शासक निकले। वंश भास्कर के अनुसार माणकराव चैहान के बेटे निर्वाण के वंश मे देवट हुआ जिसके वंशज देवड़ा कहलाए। नैणसी री ख्यात के अनुसार नाडोल के राव लाखणसी के वंश में अश्वराज की अत्यन्त सुन्दर पत्नी देवी सदृश्य थी जिनसे उत्पन्न पुत्र (“देवी रा“ कहलाए तत्पश्चात् देवरा और फिर देवड़ा कहलाएं) दूसरा मत  वर्तमान देवड़ा शाखा का उद्भव चौहान वंश की सौनगिरा शाखा से हुआ । जालौर के राजा मान सिंह( 1213-1228) जिनको मानसी या भानसी भी कहा गया के पुत्र देवराज के वंशज देवड़ा कहलाए। राव विजयराज (1250-1311) “बीजड़“ नाम से प्रसिद्ध हुआ उसके पु त्र 1. लुम्भा (राव लुम्भा देवड़ा ने परमारों से आबू छीन लिया था।) 2. लूणकरण ठि. बड़गाव (मारवाड़) 3. लक्ष्मण ( इसके वंश...

ठि. सामल (मेवाड़ का तृृतीय श्रेणी का ठिकाना गोल के जागीरदार की वंशावली)

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ठि. सामल (मेवाड़ का तृृतीय श्रेणी का ठिकाना गोल के जागीरदार की वंशावली) महारावत दूल्हा जी -(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ के महाराणा लाखा के चैथे पुत्र, उन्हें महाराणा कुंभा द्वारा 84 गाँव के साथ बदनोर की जागीर दी गई थी, लेकिन बाद में बदनोर उनके वंशजों से खालसा कर दी गई , राम सिंह की पुत्री अमर कंवर जैतमालोत से पहली शादी, चैहान रायदास जी की बेटी सायर कंवर चैहान से दूसरी शादी की। कुंवर पृथ्वीराज, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर चाप सिंह  कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  बाईसा कसन कंवर रावत चाप सिंह,-(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ महाराणा के लिए कई युद्ध लड़े ,राठौड़ राम सिंह की बेटी राज कंवर राठौर से पहली शादी की, जैत सिंह झाला की बेटी प्रेम कंवर झाला जी से दूसरी शादी की। (बदनोर के जागीरदार)  कुंवर परबत सिंह जी  पारस कंवर रावत परबत सिंह,(बदनोर के जागीरदार) खानवा में युद्ध में वीरगति को प्राप्त ...

ठि. दुलावतों का गुड़ा के ठाकुर की वंशावली

ठि. दुलावतों का गुड़ा के ठाकुर की वंशावली यह जागीर महाराणा अमर सिंह द्वितीय (1698-1710)ने देवीदास जी दुलावत द्वारा लुटेरों का सिर काटकर उदयपुर रावले में पेश करने पर दी। महारावत दूल्हा जी -(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ के महाराणा लाखा के चैथे पुत्र, उन्हें महाराणा कुंभा द्वारा 84 गाँव के साथ बदनोर की जागीर दी गई थी, लेकिन बाद में बदनोर उनके वंशजों से खालसा कर दी गई , राम सिंह की पुत्री अमर कंवर जैतमालोत से पहली शादी, चैहान रायदास जी की बेटी सायर कंवर चैहान से दूसरी शादी की। कुंवर पृथ्वीराज, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर चाप सिंह  कुंवर रणमल, रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर भारमल रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर ओप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  कुंवर गोप जी रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।  बाईसा कसन कंवर रावत चाप सिंह,-(बदनोर के जागीरदार) मेवाड़ महाराणा के लिए कई युद्ध लड़े ,राठौड़ राम सिंह की बेटी राज कंवर राठौर से पहली शादी की, जैत सिंह झाला की बेटी प्रेम कंवर झाला जी से दूसरी शादी की। (बदनोर के जागीरदार)  कुंवर प...